महान कैसे बने
महान कैसे बने
नीचा दिखा किसी गरीब को
अपनी शान समझते हो
चैन से दो वक़्त तो रहने ना पाते, खुद को महान कहते हो।।
जरूरी तो नहीं पर लाखों उड़ा पार्टियों में
मदद करने में अपमान समझते हो
मेहनत से तो बचते-फिरते, औरों का जीना हराम करते हो।।
धूर्त ज्ञान से लोगों का क्यूँ
जीवन बर्बाद करते हो
खुद तो कुछ कर सके ना, किस्मत को बदनाम करते हो।।
तरक्की यदि पा ली थोड़ी तो
कामयाब खुद को समझते हो
सीधा सरल पर आरोप लगा के यारों, खुद को बुद्धिमान समझते हो।।
वक़्त बदलते देर ना लगती
फिर भी अहंकार करते हो
छलनी कर हृदय किसी का, फिर लगाने का काम करते हो।।
जल-जल कर क्यूँ कोयला हो गए
होंठों पर झूठी मुस्कान धरते हो
दो मुंहे बन कर क्यूँ, खुद को महान समझते हो।।