प्यार की क्या पहचान सच्चा झूठा
प्यार की क्या पहचान सच्चा झूठा
प्यार का फूल किसी ने तोड़ा है,
दिल ए बागवां खाली, माली रोया है।
वो खुश रहे सदा जिसने प्यार को लूटा है,
प्यार की क्या पहचान सच्चा झूठा है।
ऐ जान किसी और का दिल न तोड़ना,
बहुत दर्द होता है प्यार को न छोड़ना।
तेरी हर अदा को सजा मान लिया हूं,
तू किसी और की यह जान लिया हूं।
गम नहीं करता गम लिखता हूं,
तेरे नाम से नफरत नहीं जिंदा हूं।
क्या कहूं अब और जीने की तमन्ना नहीं,
किस राह चलूं जब तेरा साथ होना नहीं।
तू गम है तू प्यार है,
कहां तुझको खबर है,
तू तेरा हुश्न है तेरा यार है,
कहां तुझको खबर है।
देख लेना एक नजर ,
अपने मुर्झा गये हुश्न को,
आने लगेगी प्यार में दगा करके,
जिंदगी में अब शर्म तुमको को।