प्यार का पंचनामा
प्यार का पंचनामा
ये प्यार, मोहब्बत,
इश्क, विश्क,
सब चोंचले हैं
इस दौर के।
यहां,
ना कोई इश्क में जीता है,
ना कोई इश्क में मरता है,
यहां तो बस इक टसक चलती है,
दिखावे की नौटंकी चलती है
प्यार/ व्यार और इश्क के नाम पर,
जिसमें सभी शामिल हैं
अपना अपना नाम लिखवाने।
और
ये शेरो शायरी,
ये मिलना बिछुड़ना
बस,
पल दो पल का किस्सा है,
जज़्बात ज्युं ही आगे बढ़े
सब पीछे छूट जाता है,
प्यार हो या वफा
दगा दे जाता है।
विश्वास,भावनाओं का
तो खेल ख़त्म हो जाता है,
और प्यार उसका
दूसरा खेल
फिर शुरू ?