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Shakuntla Agarwal

Abstract Drama Inspirational

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Shakuntla Agarwal

Abstract Drama Inspirational

रिश्ते

रिश्ते

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नाराजगी नजर आए अगर व्यवहार से अगर

          आगे बढ़ गले लगा लेना

 आंखों की कोर पर आंसू नजर आए

 आगे बढ़ पलकों के छलकते आंसू

      अपने चुंबन से पी लेना

 हम दोनों का रिश्ता तो अटूट है

 रिश्ता कमजोर नजर आए कभी

     उसमें दरार मत पड़ने देना

 मैं तुम्हारी तुम मेरी परछाई हो

 उस परछाई की रमक दिल में बसाए रखना

      ये अंजाना सा डर कैसा रिश्तों में

 डर को और मत पैर फैलाने देना

 हो सकता है तुम्हारी और मेरी सोच में अंतर हो

     सोच को अपने पे मत हावी होने देना

 भावनाएं  उमड़ती है दर्द भी छलकता है

 अपनी पनाहों में ले भावनाओं और दर्द को विराम देना

 दिल दोनों के एक दूजे के लिए जब धड़कते हैं

     फिर यह मैं का आडंबर क्यों ?

 मैं का आडंबर हटा अरमानों को छलकने देना

        इतनी सी इल्तिजा है मेरे हुजूर

 रिश्तों की खनक यूं ही बनाए रखना 

 सुकून मिलता है तेरी बांहों में ही

 बांहों की माला यूं ही पहनाये रखना

 खामियां मुझ में भी है और तुम में भी

 मजमा मत लगाओ खामियों का 

    खूबियां भी तो निहारो

 दुनिया की नजरों में अपने आप को और शकुन को पूर्ण बनाए रखना



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