Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Shakuntla Agarwal

Abstract Drama Inspirational

4  

Shakuntla Agarwal

Abstract Drama Inspirational

रिश्ते

रिश्ते

1 min
304


नाराजगी नजर आए अगर व्यवहार से अगर

          आगे बढ़ गले लगा लेना

 आंखों की कोर पर आंसू नजर आए

 आगे बढ़ पलकों के छलकते आंसू

      अपने चुंबन से पी लेना

 हम दोनों का रिश्ता तो अटूट है

 रिश्ता कमजोर नजर आए कभी

     उसमें दरार मत पड़ने देना

 मैं तुम्हारी तुम मेरी परछाई हो

 उस परछाई की रमक दिल में बसाए रखना

      ये अंजाना सा डर कैसा रिश्तों में

 डर को और मत पैर फैलाने देना

 हो सकता है तुम्हारी और मेरी सोच में अंतर हो

     सोच को अपने पे मत हावी होने देना

 भावनाएं  उमड़ती है दर्द भी छलकता है

 अपनी पनाहों में ले भावनाओं और दर्द को विराम देना

 दिल दोनों के एक दूजे के लिए जब धड़कते हैं

     फिर यह मैं का आडंबर क्यों ?

 मैं का आडंबर हटा अरमानों को छलकने देना

        इतनी सी इल्तिजा है मेरे हुजूर

 रिश्तों की खनक यूं ही बनाए रखना 

 सुकून मिलता है तेरी बांहों में ही

 बांहों की माला यूं ही पहनाये रखना

 खामियां मुझ में भी है और तुम में भी

 मजमा मत लगाओ खामियों का 

    खूबियां भी तो निहारो

 दुनिया की नजरों में अपने आप को और शकुन को पूर्ण बनाए रखना



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract