प्यार और जुदाई
प्यार और जुदाई
वैलेंटाइन आया,
प्यार का किस्सा,
शुरू हुआ,
हर रोज मिलने लगे,
पेड़ों के इर्दगिर्द,
घूमने लगे,
जब वो बाहों में होती,
तो जन्नत मेरे पास होती,
उसेे घंटों निहारता,
जी जान से प्यार करता।
बहुत मज़े में दिन गुजरने लगे,
ऐसेे लगने लगा,
सब कुछ अब हसीन है,
वक्त अब मुट्ठी में है।
लेकिन फिर हुुुआ,
कुछ ऐसा,
उसने बोला,
कब तक ऐसेे मिलते रहेंगे,
चलो शादी करेंं,
मैं ठहरा फटीचर,
कहां से झट सेे कर पाता,
मैंने और समय मांगा,
लेकिन वो न थी तैयार,
छोड़ गई मुझे,
किसी ओर के साथ हो गई,
दिल तोड़ गई।