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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Tragedy

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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Tragedy

प्यार अधूरा रह गया

प्यार अधूरा रह गया

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आलम था जुदाई का ,

समझ न पाया था,

उसे इंतजार था,

बहुत दूर था,


वक्त ने करवट ली,

फजर था बहार का,

पहला पहला प्यार था,

हवा के झोकों से बेखबर,

उजड़ गया चमन प्यार का।


मौसम जवां था,

बदन भीगा था,

यादों की आगोश में,

प्यार दफन हो गया,

सनम बिछड़ गया,

उल्फतों से जिंदगी में,

प्यार अधूरा रह गया।


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