पूर्णाहुति न हो सकी
पूर्णाहुति न हो सकी
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हवन कुंड में कामनाओं की आहुति देता रहा सतत
अग्नि धधकती रही, कभी धुंआ उठता रहा, कभी आग की लपटें
आहुति देते देते थक गया मैं
अग्नि, धुआं से उमस, जलन होने लगी
सोचा अब की आहुति कामनाओं की पूर्ति करेगी
किन्तु कोई भी आहूति, पूर्णाहुति न हो सकी
जीवन जलता गया, शरीर गलता गया, यज्ञ चलता रहा
कामनाएं धधकती रहीं
अब शरीर नष्ट हो गया
किन्तु कामनाएँ प्रेत बनकर भटका रही हैं
काश कि आग में घी डालने की जगह संतोष का पानी डाल देता
पूर्णाहुति भी होती और राम भी मिलता.