पत्र जो लिखा मगर
पत्र जो लिखा मगर
पत्र जो लिखे मगर ना भेज पाए थे
उन्हें हम चाहते बेहद मगर दिल में छुपाए थे,
बसी मन मंदिरों में मुरत जो उनकी थी
मोहब्बत की कशिश लेकर उन्हें अपना बनाए थे।
वह खत जिसमें मोहब्बत से सजी अल्फाज लिखे थे
दिलों में प्रेम की पावन सजी वो साज लिखे थे,
कभी ख्वाबों में मिलना और बिछड़ना रोज होता था
नहीं कोई पल है ऐसा जब उन्हें हम भूल पाए थे।
यह खत बसर कागज का टुकड़ा ही नहीं होता
हमारी गम और खुशियों का सजा एक साज होता है
बयां करते जिसे अल्फाजों के साजे दरमिया हैं
उन्हीं के प्रेम के धुन के शिवम् सपने सजाए थे।

