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पता ही नही चला

पता ही नही चला

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उलझनो को सुलझाने मे

फसा दिया अपनो ने ही

मौसम कब - कब बदलता गया

पता ही नही चला !


समय तो बदल गया खैर

मै भी आगे चलता गया

वैसे भी ये दिन कब निकल गये

पता ही नही चला !


कितने बेमिसाल लम्हे जिंदगी के

निकल गये थे हवा हो कर

पता ही नही चला !


दुनियादारी निभाना बुराई

तो कतई नही है लेकीन

मायूसी दिल की कायम है

पता ही नही चला !




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