STORYMIRROR

Lokeshwari Kashyap

Romance

4  

Lokeshwari Kashyap

Romance

प्रथम प्रेम

प्रथम प्रेम

1 min
337



कहते है समय बहुत ही बलवान होता है l

समय बड़े से बड़ा घाव भी भर देता है l

अच्छी - बुरी सब बातें और अनुभव भुला देता है समय l

पर,भुलाये नहीं भूलती कभी प्रथम प्रेम की अनुभूति l


एक झलक प्रियतम की पाने मन बावरा हो जाता है l

उसकी गली तक पाँव अनजाने में ही चले जाते है l

निगाहेँ भी हर बार यही गुस्ताखी करती है l

उसके खिड़कियों और दरवाज़े पर लगीं रही है l


जब कहीं दिखती है वों निगाहेँ चार होती हैं l

दोनों कुछ कहते नहीं कभी एक दूसरे से पर,

निगाहें दिले

हालत सब कुछ बयाँ कर देती है l

प्रथम प्रेम की अनुभूति स्कूल में बहुत खास होती है l


जब भी कभी एकबयक सामने आती थी वों मेरे,

जाने दिल क्यों मेरा जोरो से धड़कने लगता था l

चोरी - चोरी सबकी नजरें बचाके मेरी निगाहेँ,

मेरी निगाहेँ उसकी निगाहों के बात पढ़ लेती थी l


आज बरसो बाद भी उसकी वों निगाहेँ जब मुझे देखती है l

अब भी मेरा दिल उसी जोरों से उसे देख धड़कता है l

समय के साथ मैं बदला, जमाना बदला, सब कुछ बदल गया l

नहीं कुछ बदला तो, वह मेरी प्रथम प्रेम की अनुभूति है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance