प्रथम प्रेम
प्रथम प्रेम
कहते है समय बहुत ही बलवान होता है l
समय बड़े से बड़ा घाव भी भर देता है l
अच्छी - बुरी सब बातें और अनुभव भुला देता है समय l
पर,भुलाये नहीं भूलती कभी प्रथम प्रेम की अनुभूति l
एक झलक प्रियतम की पाने मन बावरा हो जाता है l
उसकी गली तक पाँव अनजाने में ही चले जाते है l
निगाहेँ भी हर बार यही गुस्ताखी करती है l
उसके खिड़कियों और दरवाज़े पर लगीं रही है l
जब कहीं दिखती है वों निगाहेँ चार होती हैं l
दोनों कुछ कहते नहीं कभी एक दूसरे से पर,
निगाहें दिले
हालत सब कुछ बयाँ कर देती है l
प्रथम प्रेम की अनुभूति स्कूल में बहुत खास होती है l
जब भी कभी एकबयक सामने आती थी वों मेरे,
जाने दिल क्यों मेरा जोरो से धड़कने लगता था l
चोरी - चोरी सबकी नजरें बचाके मेरी निगाहेँ,
मेरी निगाहेँ उसकी निगाहों के बात पढ़ लेती थी l
आज बरसो बाद भी उसकी वों निगाहेँ जब मुझे देखती है l
अब भी मेरा दिल उसी जोरों से उसे देख धड़कता है l
समय के साथ मैं बदला, जमाना बदला, सब कुछ बदल गया l
नहीं कुछ बदला तो, वह मेरी प्रथम प्रेम की अनुभूति है।