Prompt 2-जानवर से बदतर बनता इंसान
Prompt 2-जानवर से बदतर बनता इंसान
परिस्थितियाँ बिगड़ते देख
इंसान भी रंग दिखाने लगा
पा काया मानुष की
ख़ूँख़ार जानवर सा रूप लाने लगा
बिकने लगा जब प्राकृतिक देन हवा पानी
तब भाव इंसान का भी बढ़ने लगा
देख दूजे को मृत्युशय्या पर
उसके प्राणों का मोल रखने लगा
देख ऐसी दशा अपने समाज की
दिल जोरों से धड़कने लगा
जानवर भी अच्छे होते हैं आज के इंसान से
बस दिल मन में यही बसने लगा
हो सके तो धरा के प्राणियों
दिल को दिल ही रहने दो
अब प्रकृति अपने पर आ रही है
इसके कुछ नियम मान खुद को इंसान ही रहने दो