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Vaishno Khatri

Drama

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Vaishno Khatri

Drama

प्रकृति को सहेजो

प्रकृति को सहेजो

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प्रकृति के सानिध्य से ही तुमको सुख प्राप्त हो पाएगा

कृतसंकल्प होकर ही धरती को हरा भरा बना पाएगा।


पेड़-पौधों का अस्तित्व बनाए रखने का प्रण लेना होगा

बनाना है जन्मदिन को चिरस्थायी तो वृक्ष लगाना होगा।


प्रकृति को बचाकर ही तुम इस परेशानी से उबर पाओगे

लगा कर पेड़ इसे बचा लो नहीं तो इतिहास बन जाओगे।


प्रकृति की हमने की अवहेलना इसलिए सूरज आग बरसा रहा

बारिश का नामोनिशान नहीं है बादल को भी पवन उड़ा रहा।


वैज्ञानिकों की चेतावनी आगामी पीढ़ी पानी नहीं पाएगी भोग

हर तरफ होगा हाहाकार करेंगे हमला भूख-प्यास और रोग।


वृक्षों की होती जीती जागती दुआ सारा विश्व मानता है

हस्त उठा आकाश में वे करते दुआ संसार भी जानता है।


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