नारी
नारी
ए भगवन ! तेरे संसार में क्यों हो रहे इतने अत्याचार
देख कर औरत की बेबसी मेरा दिल रोता ज़ार-ज़ार
पैदा हो जब लड़की तो, घर में मातम-सा छा जाता है
लड़के की आशा में घर-घर ढोल बजाया जाता है
लेकिन है तेरी नज़र में लड़का लड़की एक समान
फिर मेरे परिचय हेतु क्यों करते परीक्षण बार-बार
देख कर औरत की बेबसी को दिल रोता ज़ार-ज़ार
ममता के ताने-बाने में, इतना अंतर क्यों करती हो ?
दोनों जनती एक कोख से, एक सी ममता न रखती हो
क्यों रखती भेद-भाव तुम, यह भी न समझा पाती हो
कर बेटी पर दया, उसे भी देना तुम जीने का अधिकार
देख कर औरत की बेबसी को दिल रोता ज़ार-ज़ार।