स्त्री की अस्मिता
स्त्री की अस्मिता


होती है अनेक स्थानों पर, स्त्री की अस्मिता व पहचान।
पर ज्यादातर गायब रहता, उसका अस्तित्व और मान।
एक आयामी होता है, पुरुष के सकल जीवन का संघर्ष।
स्त्री जीवन की होती है अभिव्यक्ति, बहु आयामी संघर्ष।
स्त्रियों को सदा है दी जाती शिक्षा, अवलम्बित रहने की।
वे चलतीं मानवीय नियम पर, पुजारी होती अहिंसा की।
होते हैं सारे प्राणियों में विराजमान, एक ही जैसे प्राण।
होती है अनेक स्थानों पर, स्त्री की अस्मिता व पहचान।
प्रकृति ने ही तो बनाया, दोनों को एक-दूसरे का पूरक।
सामाजिक मान्यतानुसार, ये दोनों होते प्रतिद्वंदी सूरत।
तो क्या स्त्रियाँ होती हैं केवल, संतानोत्पादक की मूरत?
एक श्रेष्ठ और दूसरा हीन, है यह गैरबराबरी का सूचक।
उनको ही केवल निम्नतर बताना, यह पुरुषों की शान।
होती है अनेक स्थानों पर, स्त्री की अस्मिता व पहचान।
जो देश स्त्रियों संग अत्युत्तम, बर्ताव के पक्षधर होते हैं।
वे सब सुसम्पन्न, विद्वान, स्वतंत्र व शक्तिशाली होते हैं।
जहाँ स्त्री-अनादर, कार्य हो निष्फल, उन्नती ना होती है।
अहिंसक होती, मानवीय नियमानुसार, वे तो चलती हैं।
वही राष्ट्र हैं उन्नत महा, जो स्त्री को दें समुचित सम्मान।
होती है अनेक स्थानों पर, स्त्री की अस्मिता व पहचान।
भारतीय स्त्रियाँ अन्य स्त्रियों, के सम ही योग्य होती हैं।
यथार्थ में ये सब सारे विश्व में, सर्वव्यापी शक्ति होती हैं।
जहाँ स्त्रियाँ उदासी व भय का, जीवन व्यतीत करती हैं।
उस कुटुम्ब-देश में उन्नति की, आशा नहीं हो सकती है।
स्त्रियों के आदर से देवता भी, प्रसन्न हो करें शुभ काम।
होती है अनेक स्थानों पर, स्त्री की अस्मिता व पहचान।