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Manju Garg

Inspirational

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Manju Garg

Inspirational

मानव तू मानव ही रह ........

मानव तू मानव ही रह ........

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मानव तू मानव ही रह

मानव से दानव न बन ।

नहीं करना है बर्बाद तुझे

जो प्रभु ने वरदान दिए ।


इस धरती का संरक्षक बनना है

उसका मसीहा बनना है ।

सब का सम्मान करना है

किसी को कम नहीं समझना है ।


छल दम्भ पाखंड झूठ

अन्याय से रह निश दिन दूर ।

सन्मार्ग पर चलते रह कर 

कर ले जीवन सुदृढ़ ज़रूर ।


पर मानव तू ....

 नहीं करता ईश्वर का शुक्रगुज़ार

आ गया है तुझ में अहंकार । 

नहीं करता तू धरम का पालन

नहीं है तेरा मन भी पावन ।


तभी विचलित है तेरा मन 

कलंकित है यह तेरा तन ।

करता है तू बर्बरता और क्रूरता

अपनों को ही छलता और लूटता ।


डरना तू भूल गया है 

मानवता भी भूल गया है ।

प्रभु ने तुझे मज़ा चखाया है 

तुझे औंधे मुँह गिराया है ।


मान ले तू अपनी हार 

अब तो समझ ले जीवन का सार ।

नहीं कर किसी से खिलवाड़

ना ही अपना जीवन उजाड़ ।


वक्त की डोर को थाम ले

जीवन अपना सम्भाल ले ।

सबको प्यार से जीत ले

मानव को मानवता से जी ले ।


एक बार फिर ...मानव तू मानव बन 

मानव का मानवता से परिचय करा दे ।



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