देखो सावन आया…
देखो सावन आया…
सावन आया, सावन आया
देखो, झूम झूम कर सावन आया।
घुमड़ घुमड़ बादलों ने शोर मचाया,
मोर ने देखो अपना नृत्य दिखाया।
नारी ने भी अपना रूप खिलाया
सिंदूर और मेहंदी का भी रंग गहराया।
लाल हरी चूड़ियों ने सबका मन बहलाया
पायल की खनक ने भी अपना रंग जमाया।
सावन के झूलों ने सबके दिल को हर्षाया
पिकनिक और मस्ती का दौर है फिर से आया।
घेवर और मालपुए देख सबका मन ललचाया
दाल, बाटी और चूरमा खूब छक कर खाया।
भोले नाथ और पार्वती की सेवा हर कोई कर पाया
दूध, दही से अभिषेक कर उनको प्रसन्न कर पाया।
सावन आया सावन आया, झूम-झूम कर सावन आया l
