पिता
पिता
रहता है सदा हाथ सर पे
धूप से बचाता छाता जैसे
कठोर भी है कोमल भी वो
नारियल के ऐसे रहता जैसे
कमी नहीं होने देते कुछ भी
चाहे जैसे हो करते सब कुछ
आभास नहीं होने देते है
अंदर ही सहते सब कुछ
पिता ही है हमारी पहचान
जो बनाते जीवन को आधार
हर पल हमारा साथ वो देते
करते हमारे जीवन को साकार
धूप में ऐसे ठण्डी छाया जैसे
देते हमारे जीवन को आकार
हर पल हमारा साथ वो देते
रहता है हमसे ही सरोकार
सोहबत है उनका हर समय
बच्चों पे रहता उनका करम
प्यार स्नेह भरपूर भरा दिल
यही मानते वो उनका धरम