मन की शक्ति
मन की शक्ति
यह मत सोच ,चल नहीं सकता
एक बार कदम उठा कर देख
अजमाइश की घड़ी है
हिमत बांध, दृढ़ निश्चय तू मन में ठान
टूट जाएगी बेड़ियाँ सारी
आगे चल न पीछे देख
पागल कहे भले यह दुनिया
इनसे ध्यान हटा कर देख
तेरी जीत निश्चय ही होगी
डर के कारण ,न कर तू मन भेद
लड़ ले आज खुद से
ताकि कल का अफसोस ना हो
जीवन एक बार ही मिलता
बार बार ये फूल न खिलता
कब तक तुझको कहे इमरान
उठ कर अब तो कमर बांध
उदघोष कर दे, जीत ले रण को
और पागल कर दे
अपने इस पागल मन को