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राजेश "बनारसी बाबू"

Inspirational

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राजेश "बनारसी बाबू"

Inspirational

नारी

नारी

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जय नारी नहीं अवतारिणी थी,

जिसने तेरी स्वार्थ खातिर।

जिसने तेरे जीवन खातिर।

कभी दुर्गा कभी लक्ष्मी, 

कभी राधा कभी काली,

घर रूप रूप अवतारिणी

यह नारी नहीं अवतारिणी।

जब जब हाहाकार मची तब,

कभी लक्ष्मी कभी ज्वाला बन।

धर रूप ह्यूरोज महिषासुर मर्दिनी,

थारे रूप रूप संघारिणी।

यह नारी नहीं नारायणी।

नारी बिन जगह होए अधूरा

नारी बिन जग होए न पूरा,

दिल कुछ कह पड़ता है मेरा।

क्योंकि यह नारी नहीं अवधारणी।


 


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