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Nitesh Prasad

Inspirational

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Nitesh Prasad

Inspirational

उन्मुक्त किस्सा

उन्मुक्त किस्सा

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चलो जमाने को बदलते हैं ,एक कोशिश और करते हैं

इन झूठी बंधनों के विलोम फिर एक परवाज़ भरते हैं


पाप-पुण्य के संविधान से परे एक प्रयास करते हैं

इन दुर्गम राहों में पुनः एक बार संघर्ष करते हैं


प्रयासों की प्रतिध्वनि अब तक हैं जमाने में गूंज रही

प्रेम हैं लोक संपदा,लोगों की उम्मीदें हमे ढूंढ रही


ना रहे कोई खास,ना कोई आम,ना कोई साधारण

चलों लुटा दे ये प्रेम सब में,उतारे ये झूठा आवरण


प्रतिबंध के प्रतिबिम्ब से करें सब को मुक्त

बस सबका अपना-अपना किस्सा हो उन्मुक्त।


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