आओ कान्हा
आओ कान्हा
आओ कान्हा इस धरा पर, ले कर तुम अवतार
तेरे दर्शन को तरसे अखियाँ, आ जाओ इकबार।
रंग चढ़ा मीरा पर गिरिधर, छोड़ दिया जग सारा
बन कर जोगन वह तो चल दी, लेकर एकतारा।
मीरा ने पिया विष प्याला, तुमने सोम कर डाला
वह थी तेरी याद में बेसुध, तू बन गया रखवाला।
यह विश्व इक सपना, सब कुछ यहीं रह जाएगा
मतलब के हैं सब साथी, कोई न साथ निभाएगा।
जीवन रुपी सिंधु में, हर क्षण निराश में रहता हूँ
तुम रहो खेवनहार, मैं हर पल आश्वस्त रहता हूँ।
निराशा के अँधियारे से, घिर कर हो जाऊँ बेज़ार
तू बन खवैया इस भवसागर से, लगा जाना पार।
मोहमाया ने मुझको घेरा, आकर पार लगा जाओ
न सूझे है कोई किनारा, आकर तीर दिखा जाओ।