हे केदारनाथ (शिव स्तुति)
हे केदारनाथ (शिव स्तुति)
हे मृत्युंजय हे जगदीश्वर,
हे नाथों के नाथ।
देव दनुज मानुष के झुकते,
श्री चरणों में माथ।
पंचतत्व के स्वामी शिव हैं,
हैं कालों के काल।
अष्टसिद्धि नवनिधि के दाता,
चन्द्र सुशोभित भाल।
तीनों काल समेटे खुद में,
शिव हैं कालातीत।
जन्म मृत्यु है जिनके वश में,
शंकर शम्भु पुनीत।
कैलासी हैं अविनाशी हैं,
है काशी में वास।
जन जन के मनमंदिर में है,
भोले का आवास।
शिव शंकर सबके स्वामी हैं,
जगत पिता जगदीश
पाणिग्रहण कर आप बने हैं,
जगदम्बा के ईश।
गणनायक के परमपिता हैं,
हैं देवों के देव।
नंदी गण सब सेवा करते,
पालित धर्म स्वमेव।
शिव शंकर भोले भंडारी ,
कृपा करो पशुनाथ।
गौरीपति के श्री चरणों में,
इस बालक का माथ।
हे केदारनाथ हे गुरुवर,
हे मन्मत्त शिरीष।
कब चरणों के दर्शन पाऊँ,
मिल जाये आशीष।