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Gajanan Pandey

Tragedy

3.4  

Gajanan Pandey

Tragedy

प्रकृति और इंसान

प्रकृति और इंसान

1 min
274


प्रकृति सदा देती है

इंसान को फूल व फल

उनसे होता है जीवन

रस व सुगंध से भरपूर

फलों से लदकर

झुक जाती हैं डालिया

कि हाथ बढ़ाकर

कोई भी उन्हें तोड़ ले

पेड़ बेगरज हैं ?

उन्हें परहेज नहीं इससे

कि उन्हें चखनेवाला कौन है ?


क्या है उसकी भाषा व जाति

किस प्रांत से वह है

वह तो दोनों हाथों

बांटती है उपहार

मनुष्य का स्वभाव है इसके विपरीत

उसे तो मतलब है अपने

निज स्वार्थ व सुख से

पेड़ की जगह

खड़ा होता है उसके सुख का भवन

असमय तोड़ लिये जाते हैं

फूल व फल

बेच देने को बाजार में


फिर मनुष्य के कारण

बदनाम होता है फूल व फल

आओ कुछ सीखें

प्रकृति के निस्वार्थ स्वभाव से

सीखें विश्व बंधुत्व और

समाज को देने की सीख

न बिगाड़े प्रकृति का संतुलन

निज स्वार्थ में

सुनामी, बाढ़ व भूकंप

उसका गुस्सा है

चेतावनी है इस बात की

कि बहुत हुआ,अब चेत जाओ ।


कविता के संबंध में 10 शब्द -

आओ कुछ सीखें प्रकृति के निस्वार्थ स्वभाव से

विश्व बंधुत्व व समाज को देने की सीख।



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