प्रियतम
प्रियतम
प्रियतम तुमको यही कहूंगा
बिना तुम्हारे नहीं रहूँगा
केश बिखेरे तुम जाती हो
दिल को छूती तुम जाती हो
बिना तुम्हारे फिर मैं प्रियतम किसे कहूँगा।
बिना तुम्हारे कहो मैं प्रियतम कैसे रहूँगा।
अधरों पर मुस्कान तुम्हारी
ये ही तो पहचान हमारी
अलख प्यार की जग जाएगी
राग अलाप के संग जाएगी
तब तुम गीत कहाँ गाओगे
बिना तुम्हारे गीत में प्रियतम कैसे सुनूँगा
बिना तुम्हारे फिर मैं प्रियतम किसे कहूँगा
कोरा कागज था मन मेरा
कथा ये मन की बन जाएगी
है अद्भुत ये प्रेम कहानी
संकेतो में सज जाएगी
हृदय रोग की नवीन भाषा
अबकी तुमको समझ आएगी।
अंतर्दृष्टि बढ़ जायेगी।
तब तुम कहना मुझसे आकर
अब तो केवल प्रियतम तुम्हैं कहूँगा ।
बिना तुम्हारे फिर मैं प्रियतम किसे कहूँगा ।
जब होगा उज्ज्वल तेज तुम्हारा
सृष्टि में पावक गर्मी लाएगी
पर स्वर का अलाप तो लाओ
मन को अंदर तक छू जाओ
साधना फिर प्यार बनेगा
दिए वचन जो तुम भी निभाओ
वचन है प्रियतम तुमसा केवल तुम्हैं कहूँगा।
बिना तुम्हारे फिर मैं प्रियतम किसे कहूँगा
आकर देखो तेज तुम्हारा
हृदय तल तक एक सहारा
तुम हो किसलय किरण सुबह की
हम है फिसलन ऋतु वर्षा की
तुमसे अब को वर्णन वारा
तुमसे तो त्रैलोक्य भी हारा
आकर 'सुओम' को गले लगाओ
तब होगा प्रण पूर्ण हमारा।
सच की भाषा तुम बतलाओ
रही भृमित तो प्रियतम तुमसा किसे कहूँगा
बिना तुम्हारे फिर मैं प्रियतम किसे कहूँगा