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मानव सिंह राणा 'सुओम'

Romance

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मानव सिंह राणा 'सुओम'

Romance

तुम आज बैठो

तुम आज बैठो

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तुम आज बैठो पहलू में आके

जाते भला क्यों न तुम मुस्कराके?


नजर के इशारे क्यों कर रहे हो

जाते हो फिर क्यों नजरें चुराके


हाथों से झाला देकर बुलाना

काम भी नहीं तुम जाओ बताके


ना कोई लज्जा ना कुछ छुपाना 

ये दौर कैसा जाओ तो बताके


होता है जब भी दीदार तेरा

जाते हो फिर तुम कैसे लजाके।



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