प्रिय की यादें
प्रिय की यादें
तेरी यादों को कैसे भुजाएं प्रिये,
तेरी यादें ही वस जिन्दगी हैं मेरी।
बात करना तेरा हँस के आना निकट,
याद कर आती है जब रुआसी बिकट।।
जब कभी म्लान मुख देखती तुम मेरा,
पास आ कहती नाराज मुझसे हो क्या।
मुझसे नाराज होना नही तुम कभी,
चाहे नाराज हो जाये जगये सभी।
मै न नाराज था और न नाराज हूँ,
प्रेम था प्रेम है और रहेगा सदा।
पर तेरे मन मेें आया क्या तूने किया,
दी बफा की यह मुझको कैसी सजा।
मुझको तेरी सजा भी ये मंजूर है ,
सोच तूने कहा क्या न मैनें किया।
बात थी मुझसे तुमजो कहती अगर,
मानता मै न तो तुम ये करती गदर।
तेरे सुख के लिए लूंगा सह हर सितम,
जिंदगी मौत बन जाये फिर भी न गम।
कष्ट इतना ही है और रहेगा सदा,
बदनाम खुद को क्यों तुमने किया।