प्रेम
प्रेम
तुम मुझे मेरी बातों का जवाब भले ना दो
पर मुझसे बातें तुम लगातार करते रहो
मैं हैरत में पड़ जाऊँ जब तुम मुझसे बातें ना करो
तुम मुझे गैर ना समझो प्रेम से मुझसे बातें करो।
समय कि गति में अकेले कोई प्रगति नहीं कर सकता
अवसर मिले बिन कोई अपनी कोशिश नहीं कर सकता।
ख्यालों में खोए हुए को तो जगाना मुश्किल भी नहीं
पर जागकर ख्यालों में खोने के भ्रम में कभी पड़ना नहीं।
आसानी से मिली खुशी में ग़म का आना सहन नहीं होता
रैनौं में जगना और दिन में आंसुओं का बहना नहीं रुकता।
कोई संगीत सुनें मधुर पर रास नहीं आता
बिन प्रीत के संग किसी संगीत का स्वर नहीं भाता।
स्व के स्वाभिमान में अपना अपमान भी सह जाना होता है
दुर्भावनाओं में संशोधन करके संभावनाओं को पाना होता है।
सतत पथ पर पंख फैलाए उड़ता एक परिंदा भी कभी थमता है
समय बड़ा बेदर्द है जो न थमता है और न परिंदे को थमने देता है।
दिल के मंदिर में दर्शन करना अपने प्रियतम का सबको सुहाता है
झिल-मिल, झिल- मिल तारों संग चन्द्र चमकता दमकता है
भंवरा बन उड़ता हुआ मन प्रेम से फूलों के प्रति मोह पैदा करता है
ना भंवरे में और ना ही फूलों में, प्रेम तो दो प्राणों में एक हो पनपता है।