प्रेम पत्र
प्रेम पत्र
कल मैंने पढ़ा...,
कविता समाज को संबोधित प्रेम पत्र है
कुछ प्रेम पत्र/
मैंने भी लिखे हैं/
केवल तुम्हारे लिए !
जब.../
मैं ना रहूँ.. /
तब.../
तुम उनको पढ़ना
अपने होंठों पर
इक मीठी मुस्कान लिए !
पर...!
आँखों के समंदर को
गालों की झुर्रियों पर ना लहराना !
मुझे अच्छा नहीं लगेगा
तुम्हारे चेहरे पर फैली
उदासी देखकर,
बिल्कुल नहीं..!!

