STORYMIRROR

Bhavna Thaker

Classics

4  

Bhavna Thaker

Classics

प्रेम को फलित करे

प्रेम को फलित करे

2 mins
231

मेरे एहसास को थामो ना अपने लबों की उत्कंठा में तरस भरकर 

हम चलते है प्रेम की तलाश में 

गल चुकी है प्रेम की परिभाषा वासनाओं की तपिश में भुनभुनाते...

  

काले मखमली आसमान में रात की चद्दर ओढ़े जवाँ दिलों के उन्माद में दफ़न हो चुके

लैला-मजनूँ, शिरी-फ़रहाद और अमृता-इमरोज़ के अफ़साने...


प्रेम प्रकाश के छोटे-छोटे अंशों को समेटकर चलो बहा दे अनन्त मंच पर नृत्य करते जी उठेंगे, 

हम गवाह बनें और उस निर्मल प्रेम का विशेषाधिकार प्राप्त करें...

 

शाम शांत हो गई है और अधिकांश दुनिया सो रही है

यह कवियों की कल्पना शक्ति के उजागर होने का वक्त है, 

कलम अपना जादू बिखेर रही होगी

चलो 

लय और तुकबंदी में बुने हुए प्रेम शब्द को नर्म लहजे में गुनगुनाते है...


मद्धम बहती रात की हवाओं पर गाए गए गीत सुनें

अपनी गरिमामय परिपूर्णता में चंद्रमा अपना परिचित नूर बिखरा रहा है

हम उसकी चांदी की रोशनी में डूब जाते है 

महसूस करो हमारी रूहों से उठते संगीत की सही लय के साथ

प्रेम कला और परमानंद फलित हो रहे है.. 


एक दूसरे की आँखों में डूबते झूमने वाले विचार रोमांस है 

सुनो पूर्णिमा बोलती है और कविताओं में रात की सुंदरता पर

कवि वर्णानुप्रास अलंकार में प्रेम लिखते है

उद्भव होते उदय हो रहा है प्रेम अँधेरे में कोई जादू होता है...


मौन लबों से हवा में फुसफुसाते कहे एक दूसरे के कानों में 

हाँ मुझे बेइन्तहाँ मोहब्बत है तुमसे

चलो गूँज भर दे इश्क की आराधनाओं की पंक्तियों में 

हमारे शब्दों को प्रेरणा देने वाले नृत्य और संगीत से सिफारिश करते प्रेम की बाज़ी को जीते..


चलो हम उन तितलियों के साथ घूमते है 

प्यार की तलाश में, 

प्रेम नामक खूबसूरत मोती हमारी खोज को प्रेरित करते चमकेगा, 

उस मोती को प्रेम की प्रतीक उन तमाम जोड़ियों को समर्पित करते अंतर्ध्यान होते है...


रात में बहती वासना मिश्रित हवा को मधुरता से हम चुप रहने के लिए कहें,

पूर्णिमा की रात भूमि को रोशन करते कहती है थाम लो,

प्रेम की कला का जन्म निकट है 

आँखें मूँदे चलो स्वागत करते है।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics