प्रेम -एक विश्वास
प्रेम -एक विश्वास


हमेशा ही तुम्हारे
सम्मान की रक्षा करूँगा
प्रेम की देहरी के आखिरी छोर तक
तुम्हारे साथ खड़ा रहूँगा
ये कहकर धन्य कर दिया उसने
और पूर्णिमा की चांदनी सी
खुलकर खिलकर
और सुन्दर हो गयी वो
धन्य हो गया वो क्षण जब
ह्रदय से उभरे हों वो स्वर
प्रदीप्त हो गयी सब दिशाएं
अँधेरे की नहीं रही याद
मानो मिल गया
साथ निभाना साथिया
सोचा न था ,इस सच का एहसास
सपना है कोई या समुन्दर
में डूबने का प्रयास
अजीब रिश्ते का अनोखा प्रेम
खोलता हर सिरा,वो है प्रेम
चकमक जगमग सजा संवरा प्रेम
रंगीला ,चहकता, मुस्कुराता प्रेम
हर करवाहट को मिटानेवाला प्रेम
गहरायी से मेरे दिल की आवाज़ सुनो
आओ मिलकर बसाये
प्रेम की हरी भरी दुनिया।