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Anushree Goswami

Drama Fantasy

5.0  

Anushree Goswami

Drama Fantasy

परछाई

परछाई

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मैं हँसती हूँ, क्या वो भी?

मैं रोती हूँ, क्या वो भी?

कभी होती है, कभी नहीं होती,

मैं सच में हूँ, क्या वो भी?


बड़ी मासूम है, बड़ी नादान भी,

पता है क्यों?

सब उसपर से जाते हैं,

वो चुपचाप सह जाती है,

न कभी लड़ती है,

न किसी से डरती है,

बस देखती रह जाती है!


मैं तो लड़ जाऊँ,

सब पर बिफर जाऊँ,

वो चुप रहती है,

बड़ी सहनशील है!

रंग से काली है,

भीतर से प्यारी है,

क्या मेरी आत्मा है?


मेरी सच्ची दोस्त है,

हरदम साथ निभाती है,

मैं जहाँ जहाँ जाऊँ,

मेरे पीछे-पीछे आती है!

मैं उधर-वो इधर,

मैं उधर-वो उधर,

मैं घूमूँ-वो घूमें,

मैं झूमूँ-वो झूमें!


बड़ी अच्छी है, बड़ी प्यारी है,

बचपन से ही सयानी है,

पर करती वह जो मैं कहती,

बड़ी सच्ची-बड़ी सुहानी है!


मैं उसमें हूँ,वो मुझमें है,

हम दोनों एक हैं,

वो मेरा आज,मैं उसका कल,

स्पष्ट, वो मेरी परछाई है!


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