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Kishan Negi

Inspirational Thriller

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Kishan Negi

Inspirational Thriller

पल जो फिर न आएगा

पल जो फिर न आएगा

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जिन्दगी के मिजाज़ को

जितना समझा हूँ, जितना जाना हूँ

जितना जिया हूँ, जैसे जिया हूँ

बस यहीं कह सकता हूँ

हर पल के कण-कण में

समाए हुए हैं इसके सूक्ष्म अणु

जो दिखाई तो नहीं देते

मगर अहसास कराते हैं अपने होने का पल-पल 

जो बीत गया वह भी इसका हिस्सा

जो है वह भी इसका ही हिस्सा और

आने वाला पल भी होगा इसका ही हिस्सा

जी सको तो जीयो हर पल को

अंतिम पल मानकर

वरना पल जो है फिसल जायेगा

जैसे फिसल जाती है रेत मुट्ठी से

कभी अहसास बनकर, कभी जज़्बात बनकर

घुमाएगी अपनी उंगलियों पर

कभी धूप बनकर, कभी छांव बनकर

हमें रुलाएगी, हमें हंसाएगी

करना कुछ नहीं, बहना है संग इसके

कभी खुशियों के बादल बनकर

कभी उदासियों के आंसू बनकर

इसकी खामोशियों को पढ़कर

अपनी खामोशियों में खोजनी हैं

इस पल के सुकून भरे कुछ सुनहरे लम्हे।



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