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Madhu Gupta "अपराजिता"

Romance Fantasy

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Madhu Gupta "अपराजिता"

Romance Fantasy

"पिया मिलन की आस"

"पिया मिलन की आस"

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रात आधी बात आधी और 

पिया मिलन की आस आधी

चली है गोरी मिलने पिया को 

रात की आधी बेला में प्यासी...!! 


सुध उसको ना अपनी कोई 

बादल कड़के बिजली चमके 

पैरों तले हैं उसके भुजंग अटके 

पर गोरी को सूझे ना अपनी....!! 


पिया मिलन की आस है मन की

 खुलकर पायल गिरी धरा पे उसकी

उसको ख़बर ना तनिक भी इसकी

सता रही है बस विरह तन मन की....!! 


पिया की छवि आंखों में भर के 

निकल पड़ी है प्रीत को अपनी साची करने 

जग भूला दुनिया अपनी बिसराई 

हृदय में छवि बस पिया की है समाई....!!


तोड़ दिए सब बंधन के जग के 

लाज भी अपनी सब को खोकर है आई

प्यार वो सागर से गहरा पिया को लाई

रस्मों रिवाजों की हर कड़ी वह तोड़ के आई...!!


है आज तमन्ना उससे मिलकर रहेगी 

उसने दिल की लगी है जिससे पाई

बन बैठी है आज वो मीरा दीवानी

उसको हलाहल की ना है रुसवाई....!! 



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