पिता
पिता
ज़िम्मेदारी का दूजा नाम पिता है
कर्तव्य जिये जो वो नाम पिता है
खुद की जो सब इच्छाएं भुला कर
जीता बस तुममें वो नाम पिता है ।
श्रेय नहीं है बस विश्वास पिता है
हर निराश में एक आस पिता है
जब थक कर गिरने को दिल हो
दे हाथ उठा दे वो उल्लास पिता है ।
जो माफ़ करे वो हर भूल पिता है
जो सब जीता मैं वो उसूल पिता है
हूँ मैं तो बस एक सूद तुल्य बस
हर मिली साँस का मूल पिता है ।
दुःख में भी स्थिर चट्टान पिता है
हर संबल ख़ातिर आवाहन पिता है
जग में जो अब मैं ये सीना ताने हूँ
इस के पीछे का अभिमान पिता है ।
हर कर्म में छुपा वो सम्मान पिता है
जिंदगी की किताब का उनमान पिता है
यूँ ना इतराओ अपनी सरपरस्ती पर
नेकदिली के पीछे का इंसान पिता है।।
आज फादर्स डे पर सभी पिताओं को समर्पित।
मैं आज जिस मुक़ाम पर हूँ अगर उस की दुआएं मेरी माँ की हैं
तो अथक परिश्रम मेरे पिता का भी है ।