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Arpan Kumar

Fantasy Comedy Others

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Arpan Kumar

Fantasy Comedy Others

पिता के कंधे से लगकर

पिता के कंधे से लगकर

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एक

पिता
अकेले मेरे नहीं हैं
मगर जब भी
सर रखती हूँ
उनके कंधे पर
वे मेरे होते हैं
पूरे के पूरे

मेरी बाकी चार बहनें भी
यही कहती हैं मुझसे

सोचती हूँ
पिता एक हैं
फिर पाँच
कैसे बन जाते हैं!
....

दो

यौवन की
केंचुली उतर आती है
मेरा बचपन
मेरे सामने होता है

पिता के कंधे से
जब लगना होता है
यही चमत्कार
बार बार होता है।
....

तीन

पिता है अगर पर्वत
तो उससे निकली
मैं एक नदी हूँ

गंगा,
हुगली कहलाए
या पद्मा
उसका स्त्रोत 
हिमालय ही रहेगा।
.....

चार

हम पाँच बहनों को
बड़ा करते पिता
खर्च बेहिसाब हुए
मगर
हम नदियों को
अपने साथ कुछ ऐसे
लपेटे रहे
कि पंजाब हुए।
…..........


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