अकेले चले हैं
अकेले चले हैं
अकेले चले हैं चले जा रहे हैं।
चलते है जाना चले जा रहे हैं।
किधर अपनी मंजिल किधर है ठिकाना।
दूर है मंजिल फिर भी है जाना।
अकेले चले हैं चले जा रहे हैं।
न खुद होश में हैं न खुद का ठिकाना।
हाँ, मैंने ठाना है मंजिल को पाना।
रोके जमाना चाहे टोके जमाना।
दूर है मंजिल फिर भी है जाना।
अकेले चले हैं चले जा रहे हैं।
चलते है जाना चले जा रहे हैं।
पता जिससे पूछो वही बेपता है
ना कुछ खबर है ना अता पता हैl
हैं मैंने देखे सपने जगते जगते
पूरा होने की जुगत में चले जा रहे है।
अकेले चले हैं चले जा रहे हैं।
चलते है जाना चले जा रहे हैं।
मंजिल को पाने से है किसने रोका
है जिसने ठाना मंजिल को पाना।
फिर क्या रोके उसको ज़माना।
उसका ही है अब ये सारा ज़माना।
अकेले चले हैं चले जा रहे हैं।
चलते है जाना चले जा रहे हैं।
