जज्बात महफूज रखते नमी से यादें खो जाती। जज्बात महफूज रखते नमी से यादें खो जाती।
सुझती नहीं उसको भावनाएँ , सुझती नहीं तेरी चिन्ताआएँ। सुझती नहीं उसको भावनाएँ , सुझती नहीं तेरी चिन्ताआएँ।
अब कहाँ वो जमाना यारों ये सब बचपन में हुआ करते थे। अब कहाँ वो जमाना यारों ये सब बचपन में हुआ करते थे।
हाँ, मैंने ठाना है मंजिल को पाना। रोके जमाना चाहे टोके जमाना। हाँ, मैंने ठाना है मंजिल को पाना। रोके जमाना चाहे टोके जमाना।
होती है जब कोई अनहोनी, प्रतीत अपनत्व सहारा होता है। होती है जब कोई अनहोनी, प्रतीत अपनत्व सहारा होता है।
इस ज़माने से मिरे रिश्ते अलग हैं थोड़े से लोग देते हैं दगा तो मुस्कुरा देता हूं मैं। इस ज़माने से मिरे रिश्ते अलग हैं थोड़े से लोग देते हैं दगा तो मुस्कुरा देता ह...