STORYMIRROR

Vivek Vistar

Abstract Classics Inspirational

4  

Vivek Vistar

Abstract Classics Inspirational

जुगनुओं को रोशनी...

जुगनुओं को रोशनी...

1 min
570

जुगनुओं को रोशनी का यूं पता देता हूं मैं

जल रहे कमरे की बत्ती को बुझा देता हूं मैं


है मुझे मालूम तेरा दिल जलाता हूं फिर भी

बुझ सके ना आग दिल की सो हवा देता हूं मैं


आपके गुरूर में कोई खलल ना पड़ जाए

शोर दिल का इसलिए दिल में दबा देता हूं मैं


इस ज़माने से मिरे रिश्ते अलग हैं थोड़े से

लोग देते हैं दगा तो मुस्कुरा देता हूं मैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract