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Vivek Vistar

Abstract

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Vivek Vistar

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कहने को महज़ हैं प्यार की बातें

कहने को महज़ हैं प्यार की बातें

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कि कहने को महज़ है प्यार की बातें

तुम्हें लगती हैं बस बेकार की बातें


हमारे साथ सबका साथ दोगे अब

तुम्हीं करने लगे सरकार की बातें 


यहाँ हमने सँभाला होश है जब से

तभी से हो रहीं रफ्तार की बातें


भरोसा इस ज़माने में करें किस पर

टके में बिक रहीं अख़बार की बातें


तुम्हें मालूम अब हमने यूँ ही दिल से

लगाना छोड़ दी दिलदार की बातें


मियाँ तुम इस तरह सुन तो रहे हो पर

डुबा देंगी तुम्हें विस्तार की बातें



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