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Bhairudas Vaishnav

Abstract

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Bhairudas Vaishnav

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पिता, बच्चे और रिश्ते

पिता, बच्चे और रिश्ते

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था जो मेरा, हो के भी मेरा ना

रहा...

किसे पता था, पापा इतनी जल्दी छोड़ 

जायेगें...

जाते ही पापा के, रिश्ते-नाते सब बदल से गये

अपने पराये हो गये।


बचपन में ना मिला पिता का प्यार, 

ना मिला पिता का साया... 

बिन पिता होता जीवन कितना कठिन, 

सिखा दिया अपनो ने... 

जाते ही पिता के, थम-सा गया सब, 

बुआ- चाचा भी हुये पराये। 


थामा जिसने हाथ हमारा, थे वो दादा-दादी...

ना होने दी जिसने पापा की कमी, वो थे दादा-दादी मेरे। 

बिन पिता लगे आरोप कहीं मेरी मां पर... 

है कैसे लोग यहां, जहां बात थी साथ की 

हो गये दूर सब... 

सिखा दिया दुनिया ने अकेले रहना। 


जब देखता किसी पिता- बच्चों का प्यार, 

तब बहुत याद आती पापा आपकी... 

क्या कसूर था हमारा, जो चले गये इतनी दूर... 

होते आप आज तो खुलती ना जुबान किसी की, 

क्यो छोड़ गये आप पापा।


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