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Bhairudas Vaishnav

Inspirational

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Bhairudas Vaishnav

Inspirational

नन्ही-सी जान (पिंजरे में कैद

नन्ही-सी जान (पिंजरे में कैद

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मां-बाप के प्यार से दूर

एक छोटी- सी दुनिया में

कितने अरमान लिये वो

नन्ही-सी जान (पंछी) उस पिंजरे में कैद


क्या -क्या हैं इस पिंजरे के बाहर

खुला आसमान, आसमान में दिखता इंद्रधनुष

इन उडते आजाद पंछियों के संग

उडान की इच्छा, फुलों से बात करने की तमन्ना


उच्चे-उच्चे पर्वतों को चुनोती देना

पवन सग दूर-दूर उडान भरना

समुद्र की लेहरो सग कि्डा करना

कोयल सग मधुर वाणी में गाने की तमन्ना लिये


हर शाख का हर पत्ता तुम्हारा हैं

सारे जग को तुमने स्वर से निहारा हैं

दिल चाहे तुम सग उडना पंछियों 

चला जाऊ इस जमी से दूर

तुम संग पंछियों..............


इस छोटी-सी दुनिया से दूर (पिंजरे)

इस कैद भरे जीवन से दूर

इन खुले आसमा-मे , सग तुम्हारे गीत गाऊ 

इस नन्ही-सी जान को, सग तुम्हारे चलना

सग तुम्हारे रहना , पिंजरे की इस दुनिया से दूर

पकृति की बाहों में, ले चल मुझे................


मैं एक नन्ही-सी जान

कहां आ गई इस कैद में,

इस मानव की खुशी के लिए ,नन्ही-सी जान को,

अपने मां-बाप से दूर क्यो....??


हे प्रभु ! मैं रचना हूं आपकी

हैं मन मेरा चंचल - शीतल

नासमझ पाई इन इंसानों की लालसा,

मैं रचना हूं आपकी प्रभु , हैं मन मेरा...

प्रकति की गोद में सोने का , ना कि इस पिंजरे में

हूं मैं .नन्ही-सी जान ,जो रह गई इस पिंजरे में.............


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