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Bhairudas Vaishnav

Classics

4  

Bhairudas Vaishnav

Classics

सपना या सच - जा रहा था

सपना या सच - जा रहा था

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था मैं निन्द में और मुझे इतना

सजाया जा रहा था...

बडे प्यार से मुझे नहलाया जा रहा था

ना जाने था वो कोनसा अजब खेल मेरे घर में...


बच्चों की तरह मुझे कन्धे पर उठाया जा रहा था,

था पास मेरे हर अपना उस वक्त,

फिर भी में हर किसी के मन से भुलाया जा रहा था... 

जो कभी देखते भी ना थे मोहब्बत की

निगाहों से... 

उनके दिल से भी प्यार मुझ पर 

लुटाया जा रहा था... 


मालूम नहीं क्यों हैरान थे हर कोई 

मुझे सोता हुए देख कर... 

जोर-जोर से रो कर मुझे जगाया 

जा रहा था... 


काप उठी रुह मेरी वो मनजर देखकर , 

जहा मुझे हमेशा के लिए सुलाया जा रहा था... 

मोहब्बत की इन्तहा थी जिन दिलो में मेरे लिए 

उन्हीं दिलों से आज में, एक पल में दूर 

जा रहा था।। 


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