उम्र
उम्र
कहते है प्यार कब किसे हो जाए मालूम नहीं रहता
सोचा न था कि हमें भी प्यार होगा और
इस कदर होगा जिसकी कोई हद ना हो
कहने को तो हम बस उसके डॉक्टर थे
पता नहीं कब ये डॉक्टर मरीज बन गया ।।
ये दर्द दवाई से नहीं तेरे साथ होने से ठीक होगा
लोगों को तो शर्तों वाला प्यार पसंद आता है
ये पाबंदियां ये बंदिशे ऐसा कौनसा प्यार है
हमें तो उसकी बातों से प्यार हुआ
बिन देखे उसको पसंद किए
फ़र्क समझ ना आया उम्र का अपने बड़ी से इश्क़ कर बैठे ।।
उम्र अगर देखते इश्क़ में तो वो इश्क़ कहा होता जी
जी से हुआ हमें तो इश्क़
उनकी आंखे और जुल्फों में जिया ऐसा उलझा
फिर सुलझ ना पाया
उनकी बीती हुई जिंदगी को देख रोना तो बहुत आया
पुराने ज़ंखम भर तो ना पाया लेकिन कम करने की जरूर कोशिश की
काश वो मुझे पहले मिला होता
काश वो आज काश ना रहकर मेरा जीवनसाथी होता ।।
हमारे रिश्ते से बहुत लोगों को तकलीफ थी
तभी तो कहता है वीर
लोगों की नजर जब लग जाए रिश्तों में वो रिश्ते टूट जाते है
जब कोई तीसरा आए तो वो शक बन जाए
सच भी झूठ और झूठ सच बन जाता
फिर मिलेंगे ट्रेन के उस डिब्बे में जहां आपसे मुलाकात हुई ll
✍️ भैरूदास वैष्णव (वीर)
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