STORYMIRROR

Mayank Kumar

Drama

2  

Mayank Kumar

Drama

पीर

पीर

1 min
131

समंदर का पीर बन कर भी

हम नीर बन गए


ए खुदा तू ही जाने हम कैसे

इतना नमकीन बन गए


साजिशों का गुलदस्ता कम

नहीं था फेंका किसी ने


जिसको जमा करते-करते

ना जाने हम कब कबीर बन गए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama