STORYMIRROR

Gulab Jain

Drama

3  

Gulab Jain

Drama

फूल-सा चेहरा

फूल-सा चेहरा

1 min
515

जब कोई फूल नज़र आता है |

तेरा चेहरा बहुत सताता है |


इक समंदर है तेरी आँखों में,

जो भी देखे वो डूब जाता है |


बात लब तक ही रुकी रहती है,

वस्ल का वक़्त गुज़र जाता है |


लाख कोशिश करो छिपाने की,

आँखों से सब बयां हो जाता है |


ख़ुशी 'गुलाब' को नहीं रास आती,

ग़म से ही दिल बहल जाता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama