फरवरी
फरवरी
कुछ गुनगुनी कुछ सर्द है
कुछ खिली हुई कुछ ज़र्द है
कुछ फूल तो कुछ पतझड़ हैं
कुछ हवा तो कुछ बवंडर हैं
नई तरंग फ़िज़ाओं में
एक उमंग हवाओं में
फ़ितरत में ये रंगीन है
समा भी ताज़ा तरीन है
बेताब और बेपरवाह सी
बेफिक्र बेगुनाह सी
छोटी अल्हड़ दमदार है
इश्क़ में जब संसार है
थोड़ी बहुत खलिश सी है
एक अलग कशिश सी है
कुछ ऐसी है ये फरवरी
दुनिया लगे है जब भली।