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Kumar Vikash

Drama

5.0  

Kumar Vikash

Drama

फितरत

फितरत

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आये तुम मेरी जिन्दगी

में इस तरह,


फूलों पर भँवरे मंडरायें

जिस तरह !


हम तुम्हें देख मुस्कुराये

इस तरह,


फूलों को देख तितलियाँ

मुस्कुराये जिस तरह !


फिर आया वह पल

हम मुरझाये इस तरह,


फूलों का रस चूस भँवरे

उड़ जाये जिस तरह !


एक टूटा हुआ दिल ले कर

हम रोये इस तरह,


गरजे जैसे बदरा

मेघ बरसे जिस तरह !


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