चादर बनता चाँद
चादर बनता चाँद
मुझे याद है कभी तुम कहा करते थे
ये चाँद सितारे क्या चीज है
तुम्हारे लिए तो जान हाज़िर है....
लेकिन अब मैं तुम्हारे लिए
मेरी अहमियत को जान गयी हूँ.....
जब भी मैंने तुम्हें प्यार से पूछा
की तुम्हारे लिए मैं क्या हूँ
तब हर बार तुमने मुझे उपमा दी है
लेकिन अब मैं जान चुकी हूँ
तुम्हारे लिए मैं एक तकिये से ज्यादा नहीं हूँ
हर रात तुम्हारे थके मांदे तन के लिए....
कभी लगता है कि मैं तुम्हारे लिए किसी खूँटी जैसे ही हूँ
तुम्हारे सारे प्रॉब्लेम्स को टाँगने के लिए...
मैंने तुम्हारी उपमाओं का झूठ जान लिया है
जो तुम मेरे लिए मुझसे कहते रहते हो....
तुम्हारी उपमाओं पर मुझे हँसी आती है..
जब तुम मुझे चाँद कहकर बुलाते हो....
हक़ीक़तन तुम्हारे लिए मैं एक चादर हूँ...
रात को सोने और ओढ़ने भर के लिए...
कभी मुझे सारी औरतें कपड़े सुखाने वाली अलगनी सी लगती है....
मर्दों के दर्द और मुसीबतों को सुखाने के लिए.....
तुम तो जानते हो की औरतें बेहद फ्लेक्सिबल होती है......
और अलगनी को भी जब तब झुकाना होता है....