अंधकार हरिणी , ज्ञान -दायनी नमन तुझे नमन तुझे अंधकार हरिणी , ज्ञान -दायनी नमन तुझे नमन तुझे
कोई फूट फूट कर रो रहा घर वालों का हमदर्द बन रहा कोई फूट फूट कर रो रहा घर वालों का हमदर्द बन रहा
फिर रंग मंच में ये ठहाके कैसा है। फिर रंग मंच में ये ठहाके कैसा है।
भगवान ने हम सब को बनाया, फिर क्यों अंतर इतना, भगवान ने हम सब को बनाया, फिर क्यों अंतर इतना,
कुछ पल के लिए, खुशियों को हम खुद में समा ले कुछ पल के लिए, खुशियों को हम खुद में समा ले
कुछ पल की ये ज़िन्दगी है, इस को जी ले, कुछ पल की ये ज़िन्दगी है, इस को जी ले,