क्योंकि मैं तेरी माँ हूँ, आखिर मैंने ही तो संवारा है तुझे। क्योंकि मैं तेरी माँ हूँ, आखिर मैंने ही तो संवारा है तुझे।
दोस्तों के बिना दिन अधूरा सा लगता है आत्मा के बिना शरीर कहां पूरा लगता है। दोस्तों के बिना दिन अधूरा सा लगता है आत्मा के बिना शरीर कहां पूरा लगता है।
स्कूल में अपना अपना ग्रुप बनाते थे और दूसरे ग्रुप को देख, बिना मतलब ठहाके लगते थे स्कूल में अपना अपना ग्रुप बनाते थे और दूसरे ग्रुप को देख, बिना मतलब ठहाके ...
फिर रंग मंच में ये ठहाके कैसा है। फिर रंग मंच में ये ठहाके कैसा है।
कलयुग आंख मिचौली खेल रहा है पूरी श्रद्धा से उनसे हम यह खेल खेल लें....... कलयुग आंख मिचौली खेल रहा है पूरी श्रद्धा से उनसे हम यह खेल खेल लें.......
I am deleting my poems. I am deleting my poems.